[Advaita-l] A post in Hindi on an aspect of Advaita

V Subrahmanian v.subrahmanian at gmail.com
Sun Jun 23 14:57:57 EDT 2019


Smartha Rahul's post in FB:


विनाश्यत्व-अविनाश्यत्व विषयक अद्वैत सम्प्रदाय का सिद्धान्त :-

सादित्व-अनादित्व क्रमानुसार विनाश्यत्व-अविनाश्यत्व का प्रयोजक नहीं है
अर्थात् सादि वस्तुमात्र ही विनाशी एवं अनादि वस्तुमात्र ही अविनाशी है ऐसा
आपत्ति करना तार्किकों द्वारा संभव नहीं, क्योंकि उनके मत में ध्वंस सादि होकर
भी अविनाशी एवं प्रागाभाव अनादि होकर भी विनाशी माना जाता है ।

अभावविलक्षणत्वविशिष्ट अनिर्वत्यत्व धर्म का व्यापक आत्मत्व होता है ।
अभावविलक्षण-समानाधिकरण अनिर्वत्यत्व धर्म का व्यापक है आत्मत्व ।अभावविलक्षण
अनिर्वत्य वस्तु केवलमात्र आत्मा ही है । भाव एवं अभाव वस्तुसामान्य का विनाश
एवं अविनाश का क्रमानुसार प्रयोजक नाश सामग्री का सन्निपात एवं असन्निपात है ।
नाश सामग्री का सन्निपात से वस्तु का नाश होता है एवं असन्निपात से नाश नहीं
होता है ।

नाश सामग्री का सन्निपात एवं असन्निपात ही क्रमानुसार निर्वत्य एवं अनिर्वत्य
का प्रयोजक है --- यही विवरणाचार्य की उक्ति एवं सम्प्रदाय का सिद्धान्त है  ।
नाश सामग्री का सन्निपात एवं असन्निपात फलवशतः कल्पनायोग्य है अर्थात्
निवृत्तिरूप फल जिस वस्तुका होता है उसकी नाश सामग्री का सन्निपात है एवं
जिसकी निवृत्ति नहीं होती उसकी नाश सामग्री का असन्निपात है ।

और बात यह है कि अविद्या भाव-अभाव विलक्षण है । अतः अभावविलक्षणत्व-समानाधिकरण
अनादित्वरूप हेतुद्वारा यदि आत्मा के जैसा अविद्या का अनिर्वत्यत्व विषयक
आपत्ति उठ सकती है -

// तच्च यत् अनादिभावरूपं तत् नित्यम् , यथा आत्मा, इति व्याप्ति... //

~ आनंदगिरि टीका , गीता १३.२

तो भावविलक्षणत्व-समानाधिकरण अनादित्वरूप हेतुद्वारा प्रागभाव के जैसा अविद्या
का निर्वत्यत्व भी स्वीकार करना होगा ।

Om


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